समेकित बाल विकास योजना क्या है in hindi | icds क्या है | icds full form | एकीकृत बाल विकास योजना क्या है | समन्वित बाल विकास योजना क्या है | Integrated Child Development Yojana | integrated child development programme
आईसीडीएस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे वर्ष 1975 में लॉन्च किया गया था।
ICDS योजना भारत में 2 अक्तूबर, 1975 को शुरू की गई थी। इसका नाम बदलकर आँगनवाड़ी सेवा कर दिया गया और अब यह सेवाएँ सक्षम आँगनवाड़ी तथा पोषण 2.0 के हिस्से के रूप में पेश की जाती हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या में 0-6 साल के आयु वर्ग के बच्चों की संख्या लगभग 15.8 करोड़ हैं |
देश के ये बच्चे ही भारत का भविष्य हैं| इन सभी बच्चो मे कुपोषण, विकृति, कम सीखने की क्षमता और मृत्यु दर (Malnutrition, deformities, reduced learning ability and mortality) को कम करने की चुनौती के जवाब में अपने बच्चों और नर्सिंग माताओं के लिए सरकार द्वारा ICDS नामक एक योजना का आरंभ किया गया है |
आईसीडीएस में 4 अलग-अलग घटक | 4 different components in ICDS
प्रारंभिक बचपन देखभाल शिक्षा और विकास (ECCE – Early Childhood Care and Education)
देखभाल और पोषण परामर्श (Care and Nutrition Counseling)
स्वास्थ्य सेवाएं (Health Services)
सामुदायिक मोबलाइजेशन जागरूकता, वकालत और सूचना (Community Mobilization Awareness, Advocacy, and Information)
शिक्षा और संचार उद्देश्य (Educational and Communication Objectives)
ICDS का उद्देश्य | समेकित बाल विकास सेवा के उद्देश्य | समेकित बाल विकास योजना का उद्देश्य क्या है
0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना।
बच्चे के उचित मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना।
मृत्यु दर, रुग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ने की घटनाओं को कम करना।
बाल विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न विभागों के बीच नीति और कार्यान्वयन का प्रभावी समन्वय स्थापित करना।
माता में उचित पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से बच्चों के सामान्य स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी आवश्यकताओं की देखभाल करने की क्षमता बढ़ाना।
किशोर लड़कियों (AGs) को सुविधा प्रदान करना, उन्हें शिक्षित और सशक्त बनाना ताकि वे आत्मनिर्भर एवं जागरूक नागरिक बन सकें।
ICDS के तहत योजनाएँ | samekit bal vikas yojana | icds की 6 सेवाएं | समन्वित बाल विकास योजना | samanvit bal vikas yojana 6 schemes
आंँगनवाड़ी सेवा योजना
यह बचपन की देखभाल और विकास के लिये एक अनूठा कार्यक्रम है।
इस योजना के लाभार्थी 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे, गर्भवती महिलाएंँ और स्तनपान कराने वाली माताएंँ हैं।
यह छह सेवाओं का एक पैकेज प्रदान करता है जिसमें पूरक पोषण, स्कूल पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांँच तथा रेफरल सेवाएंँ शामिल हैं।
पूरक पोषण में टेक होम राशन ( Take Home Ration- THR), गर्म पका हुआ भोजन और सुबह का नाश्ता शामिल है। निर्धन परिवारों के लिये इसका विशेष महत्त्व है क्योंकि यह बच्चों के पोषण संबंधी परिणाम को प्रभावित करता है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
PMMVY के तहत सभी पात्र लाभार्थियों को तीन किश्तों में 5,000 रुपए दिये जाते हैं और शेष 1000 रुपए की राशि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ की शर्तों के अनुरूप संस्थागत प्रसूति करवाने के बाद दी जाती है। इस प्रकार औसतन एक महिला को 6,000 रुपए प्राप्त होते हैं।
राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना
इसके तहत कामकाजी महिलाओं के बच्चों (6 माह से 6 वर्ष की आयु वर्ग) को दिन भर देखभाल की सुविधा प्रदान करना है।
शिशुगृह एक महीने में 26 दिन एवं प्रतिदिन साढ़े सात घंटे के लिये खुला रहता है।
इसमें बच्चों को पूरक पोषण, प्रारंभिक चाइल्ड कैयर शिक्षा, स्वास्थ्य और सोने की सुविधा प्रदान की जाती है।
किशोरियों के लिये योजना
इसका उद्देश्य 11-14 वर्ष आयु वर्ग में स्कूल के अतिरिक्त किशोरियों को पोषण, जीवन कौशल एवं घरेलू कौशल प्रदान कर उनकी सामाजिक स्थिति को सशक्त बनाना और सुधारना है।
इस योजना में पोषक और गैर-पोषक तत्त्व शामिल हैं जो इस प्रकार हैं; लौह तथा फोलिक एसिड पूरकता; स्वास्थ्य जाँच एवं रेफरल सेवा; स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना, स्कूल के अलावा अन्य बाह्य किशारियों को औपचारिक/अनौपचारिक शिक्षा में शामिल करना तथा विद्यमान सरकारी सेवाओं के बारे में सूचना/मार्गदर्शन प्रदान करना है।
बाल संरक्षण योजना
इसका उद्देश्य कठिन परिस्थितियों में बच्चों के सुधार और कल्याण हेतु योगदान देना है, साथ ही बच्चों के दुरुपयोग, उपेक्षा, शोषण, परित्याग तथा परिवार आदि से अलगाव का मार्ग प्रशस्त करने वाली कार्यवाहियों को रोकना।
पोषण अभियान
इसका उद्देश्य छोटे बच्चों में कुपोषण/अल्पपोषण, एनीमिया को कम करके, किशोर लड़कियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं पर ध्यान केंद्रित करके स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया की रोकथाम के साथ जन्म के समय कम वज़न वाले बच्चों के स्तर में सुधार करना है।
आंगनबाड़ी केंद्र से दी जाने वाली सेवाएँ | Services provided by Anganwadi center
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 4, 5 एवं 6 के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्र से 6 वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के लिए पोषाहार के विस्तृत प्रावधान है।
कानून के अनुसार मध्ह्यान भोजन की तरह आंगनबाड़ी में भी प्रत्येक 3 से 6 वर्ष के पंजीकृत बच्चों को प्रत्येक दिन (अवकाश के दिनों को छोड़कर) मेनू (menu) के अनुसार सुबह का नाश्ता एवं दोपहर को गर्म पका – पकाया भोजन दिया जाता है।
अगर किसी कारण से किसी भी दिन (छुट्टी के दिन को छोड़कर) सुबह का नाश्ता एवं गर्म पका – पकाया भोजन नहीं मिलता है तो आंगनबाड़ी केंद्र से पंजीकृत प्रत्येक 3 से 6 साल के बच्चे को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा भत्ता पाने का अधिकार है।
उपरोक्त नियम का उल्लंघन होने की स्थिति में जिला के जिला शिकायत निवारण अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है।
समेकित बाल विकास योजना के पात्र लाभार्थी
0 से 6 माह के बच्चे
6 माह से 3 वर्ष के बच्चे
गर्भवती/धात्री महिलायें
0-5 वर्ष के कुपोषित बच्चे
11-14 वर्ष की स्कूल न जाने वाली किशोरी बालिकाएं
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आगनवाड़ी मे संपर्क करें
सभी वर्गों की पहचान कर आगंनबाड़ी कार्यकत्री द्वारा आगंनवाडी के केन्द्र पर पंजीकृत करना।
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आधिकारिक साइट पर जाकर फॉर्म भरें
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